Wednesday, January 16, 2013

पत्थर दिल

सुनों देव 

तुम पत्थर हो पत्थर | समझ रहें हो ना मैं क्या बोल रही हूँ | तभी तो तुम तक मेरी कोमल भावनाएं नहीं पहुँच पाईं आज तक | तुम्हे पूज-पूज के भगवान तो मैंने ही बनाया फिर भी तुम पत्थर के पत्थर ही रहे | सुना था कि तुम भोले हो थोड़े से प्रेम से ही प्रशन्न हो जाते हो पर मुझे तो वर्षों बीत गये तुम्हारी आराधना करते करते पर तुम वही के वही |

कभी - कभी तो लगता है कि मेरी पूजा सफल होने वाली है पर अगले ही पल तुम्हारी भृगुटी तन जाती है | तुम पत्थर हो और पत्थर ही रहोगे जीवन भर | इतने वर्षों में तुम्हारा हृदय परिवर्तन नहीं हुआ तो अब क्या होगा | अब तो मेरी भी उम्मीद जवाब दे रही है | शायद मेरी पूजा - अर्चना में ही कोई कमी रह गई जो तुम आज तक नही पिघले |

पर मेरी उन भावनाओं का क्या जो तुम तक आज तक नही पहुँची  पाईं | पर अब मैं भी कोशिश नही करुँगी कि तुम मेरी भावनाओं को समझो | वो मेरी हैं और मैं अपने पास ही सम्भाल के रक्खुंगी | क्यों कि पत्थर पर सिर पटक - पटक के मैंने अपना माथा और आत्मा दोनों लहुलूहान कर रखा है \

मैं इस दर्द के साथ अकेले ही जी लूँगी | तुम बैठे रहो अकेले पत्थर बन के | प्रणाम करती हूँ तुम्हे दूर से ही |

मीना पाठक 

14 comments:

  1. ufff pathar par rass bhi itne sal ghisti hai to nishan padh jate hai par pathar dil kabhi bhi nhi badalte ,bahut hi dard bhari rachna .jis par beete wahi jaane

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद नीलिमा सखी

      Delete
  2. बहुत दर्द भरी रचना .....

    ReplyDelete
  3. bahut hi marmik hai yah meena ji .......pathron se sar takrane ka kya fayda khud hi lauluhan ho jaoge ....

    ReplyDelete
    Replies
    1. लेख पसन्द करने के लिए धन्यवाद सखी

      Delete
  4. bhut hi marmhik rachna hai sach pather dil kabhi nai pigalta hai

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा आप ने शांती जी ...बहुत बहुत शुक्रिया

      Delete
  5. अगर ईश्वर को मानती हो तो उसे पत्थर मे मत ढूंढो ....वह तो हमारे आस पास कण कण मे है ...आपमे है , मुझमे है ...हा खुशी तलाशने के तरीके अलग हो सकते है । बेहद मार्मिक और दिल से लिखा है आपने

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

      Delete
  6. apne ishwar se shikayat karne poora haq hota hai sadhak ko, bahut achchhe aur saral shabdo me aapne apni bhavna ka warnan kiya hai. mujhe bahut pasand ayaa aapka ye lekh.
    --Lekh

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद लेख जी

      Delete
  7. इनसे लड़ाई जायज़ भी है और करनी भी चाहिये..
    बहुत अच्छा लिखा है दीदी
    -
    भरत

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा आप ने भरत ... बहुत बहुत धन्यवाद

      Delete

शापित

                           माँ का घर , यानी कि मायका! मायके जाने की खुशी ही अलग होती है। अपने परिवार के साथ-साथ बचपन के दोस्तों के साथ मिलन...